महिलाओं को घर के काम पूरे करके करने वाला यह गृह उद्योग कम पैसे में खुद का रोजगार और परिवार को आर्थिक सहायता देनेवाला यह व्यवसाय थोड़े से अनुभव से शुरू कर सकते है। सामान्यतः पूजा अर्चना के समय, मंदिरों में, दुकानों में, मस्जिदों में धूपबत्ती का अधिक उपयोग होता है। वातारण प्रसन्न रहें इसलिये इसका बहुत उपयोग किया जाता है। धूप लकड़ी का चूरा, नागरमोथा और सुगंधी मसाले डालकर लकड़ी के डंडे से अथवा लकडी कूटने की मशीनरी से उसकी बारीक पाउडर की जाती हैै। उसमें थोड़ा वनस्पति घी डालकर उसका मिश्रण एक टेबल पर फैला कर उसका गोला तैयार करके उससे हमें जो चाहिये उस आकार की,वजन की धूप बत्तियां तैयार करके कार्ड बोर्ड के बाक्स में पैकिंग करके बिक्री के लिये भेजी जाती है। धूपबत्ती को सुगंध देने के लिये मिश्रण में कृत्रिम कस्तूरी का उपयोग किया जाता है।
विभिन्न प्रकार की धूपबत्तियां तैयार करने के लिये मिश्रण करते वक्त चंदन, मोगरा, गुलाब ऐसे कृत्रिम सुगंधों का उपयोग करके धूपबत्तियां तैयार कीजिये।
आजकल किसी भी बिजनेस को ब्रांड बनने में टाइम नहीं लगता है। बस क्वालिटी अच्छी होनी चाहिये। आरंभ में थोड़ा कम मुनाफा कमा कर कस्टमर को अच्छे से अच्छी क्वालिटी देने की कोशिश करें आपका बिजनेस जल्दी ही फैल जायेगा। अगर काम को अच्छे से किया तो आप लाखों रूपये घर बैठे कमा सकते है।
मार्केट- सभी प्रकार के किराना, स्टेशनरी दुकानों मे धूपबत्तियां बेची जाती है। धूपबत्तियां सर्वाधिक अगरबत्ती की दुकानाेें में एवं देवस्थानों के नजदीक के दुकानों में बेची जाती है। डोर मार्केटिंग में भी अच्छी बिक्री होती है।
प्रशिक्षण- अनुभव से धूपबत्ती तैयार करना सीख सकते है।
लागत- 10 से 15 हजार की लागत मेें व्यवसाय शुरू हो जाता है।
राॅ मटेरियल- धूप लकड़ी, नागरमोथा, वनस्पती घी, लकडी का बुरादा, लकडी का कोयला, कृत्रिम सुगंध, कपूर, खस आदि।
मशीनरी- पैकिंग मशीन।
मनुष्यबल- एक कुशल और एक अकुशल मजदूर जरूरी है।
जगह- घर के ही सामान्य कमरे से आप उत्पादन शुरू कर सकते है।
विज्ञापन- धूपबत्ती बाक्स पर अपने ब्रांड का नाम का विज्ञापन अल्प खर्चे पर होता है।
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''आपत्ति पर मात करने वाले को विजय मिलती है।''
उपांशु अग्रवाल
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