Monday, 10 December 2018

Best Motivation - काम में जुटने की आदत डालियें (सफलता मंत्र)

Best Motivation - काम में जुटने की आदत डालियें (सफलता मंत्र)


हर क्षेत्र में दिग्गज इस बात पर सहमत है कि ऊंची पोस्ट के लिये योग्य व्यक्ति नहीं मिलते। जैसी कहावत है, चोटी पर हमेशा काफी जगह खाली रहती है। एक एक्जीक्यूटिव का कहना था कि बहुत सारे लोगों में तकनीकी काबिलियत तो होती है, परंतु उनमें सफलता के एक मूलभूत तत्व की कमी होती है। वह तत्व है काम पूरा करना या परिणाम देना।

हर बड़े काम में- चाहे वह बिजनेस चलाना हो, उंचे स्तर की सेल्समैनशिप हो, विज्ञान, सेना या सरकार हो- आपको एक ऐसे आदमी की जरूरत पड़ती है जो न सिर्फ सोचता हो बल्कि काम भी करता हो। जब भी अफसर किसी महत्वपूर्ण कर्मचारी को नियुक्त करते है तो वे अफसर इस तरह के सवाल पूछते है, क्या वह यह काम कर पायेगा ?, क्या वह पूरा काम कर सकता है ?, क्या वह खुद ही काम में जुटा रहेगा या उसे बार बार याद दिलाना पड़ेगा ?, क्या वह काम पूरा करेगा या सिर्फ बातें ही करेगा ?

इन सारे सवालों का लक्ष्य एक ही है, यह पता लगाना कि क्या वह आदमी कर्मठ है, क्या वह आदमी काम का है। उत्कृष्ट विचार की पर्याप्त नहीं होते। एक साधारण विचार पर भी अगर अमल किया जाये और उसे विकसित किया जाये तो उसके अच्छे परिणाम निकल सकते है। दूसरी तरफ, अगर आपके पास सर्वश्रेष्ठ विचार भी हो और आप उस पर अमल नहीं कर पाये, तो वह बेकार है क्योंकि वह आपके दिमाग में ही पैदा होता है और वहीं मर जाता है।
कोई भी चीज सिर्फ सोच लेने भर से नहीं हो जाती।
इस बारे में विचार कीजिये। इस दुनिया में हर चीज, उपग्रह और गगनचुंबी इमारतों से लेकर बेबी फूड तक एक विचार था जिस पर किसी न मेहनत की है।

जब आप सफल और असफल दोनों तरह के लोगों का अध्ययन करते है, तो आप पायेंगे कि आप उन्हें दो श्रेणियों में बांट सकते है। सफल जोग कर्मठ होते है। औसत आदमी साधारण होते है,जबकि असफल लोग निठल्ले होते है।

हम दोनों समूहो के अध्ययन से सफलता का सिद्वांत खोज सकते है। मिस्टर कर्मठ काम करने वाले होते है। वे काम शुरू करते है, उसे पूरा करते है और उनके दिमाग में विचार और योजनायें होती है। मिस्टर निठल्ले एक अकर्मण्य व्यक्ति होते है। वे काम को टालते रहते है जब तक कि वे यह साबित न कर दें कि वह काम उन्हें क्यों नहीं करना चाहिये या वह काम वे क्यों नहीं कर सकते, या जब तक काम का वक्त ही न निकल जाये।

मिस्टर कर्मठ और मिस्टर निठल्ले के बीच का अंतर अनगिनत चीजों में दिखता है। मिस्टर कर्मठ छुट्टियां मनाने की योजना बनाते है। वे छुट्टियां मनाकर आ जाते है। मिस्टर निठल्ले छुट्टियां मनाने की योजना बनाते है। परंतु वे उसे अगले साल तक के लिये टाल देते है। मिस्टर कर्मठ निर्णय लेते है कि उन्हें नियमित रूप से मंदिर जाना चाहिये। और वह ऐसा करते है। मिस्टर निठल्ले सोचते है कि मंदिर जाना एक अच्छा विचार है परंतु वे ऐसा करने से किसी न किसी कारण से बचते है। 
यह अंतर बड़ी चीजों में भी साफ दिखाई देता है। मिस्टर कर्मठ अपना खुद का बिजनेस खड़ा करना चाहते हैं। वे ऐसा कर लेते है। मिस्टर निठल्ले भी खुद का बिजनेस खड़ा करना चाहते है परंतु उन्हें समय रहते भी कोई ऐसा बेहतरीन बहाना मिल जाता है जिसके कारण वे कभी ऐसा नहीं कर पाते।

इन दोनों आदमियों यानी की मिस्टर कर्मठ और मिस्टर निठल्ले के बीच का अंतर हर तरह के व्यवहार में भी साफ झलकता है। मिस्टर कर्मठ जो काम करना चाहते हैं वे उसे करके दिखा देते है और इसके फलस्वरूप उन्हें आत्मविश्वास, अंदरूनी सुरक्षा की भावना, आत्मनिर्भरता और ज्यादा आमदनी इत्यादि चीजें मिलती है। मिस्टर निठल्ले कभी भी अपना काम नहीं कर पाते,  वे काम शुरू करना ही नहीं चाहतें। इसके फलस्वरूप् उनका आत्मविश्वास कम होता जाता है, उनकी आत्मनिर्भरता समाप्त हो जाती है और वे औसत दर्जे की जिंदगी जीने के लिये विवश रहते है।
मिस्टर कर्मठ कुछ करते है। मिस्टर निठल्ले करना तो चाहते हैं, पर कभी कुछ शुरू नहीं कर पाते।

हर आदमी कर्मठ बनना चाहता है। इसलिये आइये काम शुरू करने और फिर उसे पूरा करने की आदत डालें।

बहुत से निठल्ले लोग इस तरह के इसलिये बने क्योंकि वे इस बात का इंतेजार करते है कि परिस्थितियां पूरी तरह से आदर्श होनी चाहिये और जब तक ऐसा नहीं होता वे वहीं रूके रहते है। 
आदर्श स्थिति या पूर्णता बहुत अच्छी बात है। परंतु यह भी सच है कि कोई भी इंसानी चीज पूरी तरह आदर्श या पूर्ण नहीं होती है, न ही हो सकती है। इसलिये अगर आप आदर्श स्थिति का इंतजार करेंगे, तो शायद आपको इंतजार ही करना पड़ेगा।

इस बात को कई उदाहरणों की मदद से भी समझा जा सकता है जो अगर आप चाहे तो मैं आपको अपने अगले ब्लाॅग में समझा सकता हूं।
जिंदगी बहुत कीमती है...इसकी कीमत को समझे और समय का सदुपयोग करें।
आशा करता हूं ब्लाॅग आपको पसंद आया होगा...इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें, आपका एक शेयर किसी की जिंदगी बदल सकता है।
उपांशु अग्रवाल

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